सत्रह साल पहले 11 सितंबर के दिन अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर एक हमला हुआ था. इसी घटना के कारण अमरीका और उसके सहयोगी देशों ने अल-क़ायदा और तालिबान के विरुद्ध संपूर्ण रूप से युद्ध की घोषणा कर दी थी और अमरीका अपने समस्त लाव-लश्कर के साथ अपने दुश्मन को समाप्त करने के लिए निकल पड़ा था. 20वीं सदी के आख़िरी सालों में साम्यवाद को पराजित करने का सेहरा अपने सिर पर बांधने के बाद अमरीका ने तीसरी सहस्त्राब्दि की शुरुआत में चरमपंथ को पराजित करने का सेहरा भी अपने सिर बांधने का फ़ैसला किया.
चरमपंथ के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर छेड़ी गई इस लड़ाई के जो परिणाम सबके सामने हैं वो कुछ इस तरह हैं. दस खरब से अधिक अमरीकी डॉलर ख़र्च हो चुके हैं.
दो हज़ार से अधिक नेटो के सैनिकों की मौत हुई है. दस हज़ार से ज़्यादा निहत्थे और निर्दोश अफ़गान नागरिकों का क़त्ल और ज़ख़्मी होना. साथ ही सैनिक अधिकारियों और नेटो देशों के राजनेताओं की अत्यधिक माथापच्ची. तो क्या इस व्यापक युद्ध की शुरुआत एक भयंकर अपराध था?
स्टोरी: मोहम्मद मोहक़्क़िक़, धार्मिक मामलों के विश्लेषक
आवाज़: मोहम्मद शाहिद
तस्वीरें: गेटी इमेजस, बीबीसी, रायटर्स
चरमपंथ के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर छेड़ी गई इस लड़ाई के जो परिणाम सबके सामने हैं वो कुछ इस तरह हैं. दस खरब से अधिक अमरीकी डॉलर ख़र्च हो चुके हैं.
दो हज़ार से अधिक नेटो के सैनिकों की मौत हुई है. दस हज़ार से ज़्यादा निहत्थे और निर्दोश अफ़गान नागरिकों का क़त्ल और ज़ख़्मी होना. साथ ही सैनिक अधिकारियों और नेटो देशों के राजनेताओं की अत्यधिक माथापच्ची. तो क्या इस व्यापक युद्ध की शुरुआत एक भयंकर अपराध था?
स्टोरी: मोहम्मद मोहक़्क़िक़, धार्मिक मामलों के विश्लेषक
आवाज़: मोहम्मद शाहिद
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Is USA losing a War against Al-Qaeda and Taliban? (BBC Hindi) hindi news channel live | |
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News & Politics | Upload TimePublished on 23 Sep 2018 |
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